Book Title: Chikitsa Chandrodaya Part 05
Author(s): Haridas
Publisher: Haridas

View full book text
Previous | Next

Page 683
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६५२ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (२) मोतियोंको खरलमें पीसकर, एक दिन, अर्क वेदमुश्क डाल-डालकर खरल करो और अलग रख दो। - (३) शुद्ध शिंगरफ और मोतियोंको खरलमें डाल घोटो और कालीमिर्च, पीपरका चूर्ण, खपरिया-भस्म, गिलोयका सत्त, अभ्रकभस्म-ये सब मिलाकर ३ घण्टे घोटो। अन्तमें सोनेके वर्क भी अलग पीसकर मिला दो और खूब खरल करो। जब तक सोनेके वर्ककी चमक न चली जावे, खरल करते रहो।। (४) जब सब दवाएँ मिल जावें, तब इसमें १० तोले गायका मक्खन मिला दो और खरल करो। (५) जब मक्खनमें सब चीजें मिल जावें, तब काग़ज़ी नीबुओंका रस डाल-डालकर खूब खरल करो; जब तक चिकनाई कतई न चली जावे खरल करते रहो, उकताओ मत । चिकनाई चली जानेसे ही दवा अच्छी बनेगी। (६) जब चिकनाई न रहे, उसमें कस्तूरी और अम्बर भी मिला दो और घोटकर एक-एक रत्तीकी गोलियाँ बनाकर छायामें सुखा लो । बस; अमृत-सच्चा अमृत बन गया। नोट-छोटी पीपर पीस-छानकर उस चूर्णमें नागरपानोंके रसकी २१ भावनायें देकर सुखा लो और शीशी में रख लो। सेवन-विधि । अड़ सेके नौ पत्तोंका रस, जरा-सा शहद, एक माशे ऊपरकी भावना दी हुई पीपरोंका चूर्ण और १ रत्ती मालती बसन्त--सबको मिलाकर चटनी बना लो। सवेरे-शाम इस चटनीको चटाना चाहिये। इसके अलावः दिनके २ बजे, च्यवनप्राश २ तोले ताजा गायके दूधमें सेवन कराना चाहिये और रातको, सोनेसे पहले, २ रची सोना-भस्म, ६ माशे सितोपलादि चूर्णमें मिलाकर सेवन कराना. चाहिये। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720