Book Title: Chikitsa Chandrodaya Part 05
Author(s): Haridas
Publisher: Haridas

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Page 688
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६५७ राजयक्ष्मा और उरःक्षतकी चिकित्सा। शहद ४ माशे. मक्खन १० माशे में मिलाकर सवेरे-शाम चटाओ। अथवा मक्खन २ तोले मिश्री १ तोले के साथ एक-एक मात्रा चटारो । अगर क्षय या जीर्ण-ज्वरवालेको पतले दस्त लगते हों तो शर्बत अनार या शर्बत बनफशा में सितोपलादि चूर्णकी मात्रा चटाओ। दस्तोंको लाभ होगा। - अगर जल्दी ही फायदा पहुंचाना हो, तो इसमें स्वर्ण-मालती-बसन्त भी एक-एक रत्ती मिला दो, जैसा पीछे लिख आये हैं। लवङ्गादि चूर्ण । अगर रोगीको भूख न लगती हो, छातीमें दर्द रहता हो, श्वासकी शिकायत हो, खाँसी हो, भोजनपर रुचि न हो, शरीर कमजोर हो, हिचकियाँ आती हों, पतले दस्त लगते हों, दस्तमें लसदार पदार्थ आता हो, पेटमें रोग हो, पेशाबकी राहसे पेशाबमें वीर्य प्रभृति धातुएँ जाती हों, तो आप उसे “लवंगादि चूर्ण' ४ रत्तीसे १॥ या दो माशे तक शहदमें मिलाकर दो। अगर क्षय-रोगीको पतले दस्त लगते हों, कफके साथ मवाद और खून जाता हो, दिल घबराता हो, मैं हमें छाले हों और संग्रहणी हो, शरीर एकदम कमजोर हो गया हो, तब इसे जरूर देना चाहिये। अगर रोगीको खाँसी जोरसे आती हो, ज्वर उतरता न हो, पसीने For Private and Personal Use Only

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