________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा--'अफ़ीम"। १२१ रत्ती अफ़ीम मनुष्यको मार डालती है । अफीम लेनेके समयसे एक घण्टेके अन्दर, यह अपना जहरीला असर दिखाने लगती है । इसको खानेवाला प्रायः चौबीस घण्टोंके अन्दर यमपुरको सिधार जाता है। - ज़ियादा अफ्रीम खानेसे पहले तो नींद-सी आती जान पड़ती है, फिर चक्कर आते और जी घबराता है । इसके बाद मनुष्य बेहोश हो जाता है और बहुत जोरसे चीखने-पुकारनेपर बोलता है। इसके बाद बोलना भी बन्द हो जाता है। नाड़ी भारी होनेपर भी धीमी, मन्दी और अनियमित चलती है । खाली होनेसे नाड़ी तेज चलती है। साँस बड़े जोरसे चलता है। दम घुटने लगता है। शरीर किसी कदर गरम हो जाता है। पसीने खूब आते हैं। नेत्र बन्द रहते हैं; आँखोंकी पुतलियाँ बहुत ही छोटी यानी सूईकी नोक-जितनी दीखती हैं । होठ, जीभ, नाखून और हाथ काले पड़ जाते हैं। चेहरा फीका-सा हो जाता है। दस्त रुक जानेसे पेट फूल जाता है। ___ मरनेसे कुछ पहले शरीर शीतल बर्फ-सा हो जाता है । आँखोंकी पुतलियाँ जो पहले सुकड़कर सूईकी नोक-जितनी हो गई थीं, इस समय फैल जाती हैं। हाथ-पैरोंके स्नायु ढीले हो जाते हैं। टटोलनेसे नब्ज या नाड़ी हाथ नहीं आती । थोड़ी देरमें दम घुटकर मनुष्य मर जाता है। ___ कभी-कभी अफीमके जहरसे शरीर खिंचता है, रोगी आनतान बकता है, कय होती और दस्त लगते हैं । इनके सिवा धनुस्तंभ वगैरः विकार भी हो जाते हैं। अगर अफीम बहुत ही अधिक मात्रामें खायी जाती है, तो वान्ति भी होती है।
अगर रोगी बचनेवाला होता है, तो उसे होश आने लगता है, क्रय होती और सिरमें दर्द होता है।
"तिब्बे अकबरी"में लिखा है-अफ़ीमसे गहरी नींद आती है,
For Private and Personal Use Only