Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्व-विचार ही मानव को महामानव या महादानव के रूप में इस जगत् में स्थापित करता है। कृपया विचार स्वच्छ एवं निर्मल रखिये। " साहस का मार्ग जोखिम भरा तो है, पर गरिमा उसी पर टिकी हुई है; जिन्हें जोखिम से भय लगता है। वे कीचड़ के कीडों की तरह गई गुजरी परिस्थितियों में ही जीवन जीते हैं। " यह हँसना कैसा और यह आनन्द कैसा? जबकि समूचा विश्व अग्नि-ज्वाला में जला जा रहा है। भयंकर अंधेरे में घिरे तुम रोशनी क्यों नहीं ढूंढते? “आत्मा का खजाना अपूर्व है, उसकी तुलना किसी भी पार्थिव पदार्थ से नहीं हो सकती।" “ मिट्टी ने कुम्हार से कहा, “मुझे ऐसे पात्र का रूप दे दीजिये, जो अपने में शीतल जल भर कर लोगों की प्यास बुझा सके, तब कुम्हार ने कहा, यह 29 For Private And Personal Use Only

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