Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तभी संभव है, जब तुम फावड़े से खुदने, गधे पर चढ़ने, डंडे से पीटने, पैरों से रोंदे जाने व आग में तपे जाने का साहस जुटा सको, इससे कम में किसी की भी महान् आकांक्षाए पूरी नही हुई हैं। यही है महत्ता को प्राप्त करने का एक मात्र रास्ता।" इस संसार में जो अज्ञानी हैं, यानी अपने स्वाभाविक ज्ञान गुणों का विकास नहीं करते, वे पशु समान हैं। जिसने ज्ञान की आराधना व उपासना की है, उन्होनें ही श्रीकार मोक्ष को प्राप्त किया है। ज्ञान धार्मिक प्रगति का मूल है। आध्यात्मिक प्रगति की नींव और सिद्धि सोपान चढ़ने की सीढ़ी है। " मैं अकेला हूँ। मेरा कोई नहीं, अकेला आया था, अकेला ही जाऊँगा फिर यह राग कैसा? " राग छोड़ो, बैरागी बनो। " प्रवचन जिनेश्वर भगवान द्वारा, जगत् के समस्त प्राणी मात्र के हितार्थ एवं आत्म-कल्याणार्थ दिये गये हितोपदेशों का गंगा-प्रवाह है; जो गुरुजनों के श्रीमुख से प्रवाहित होकर आप तक पहुँचता है। 30 For Private And Personal Use Only

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