Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप इसे निष्ठा पूर्वक सुने, हृदय पूर्वक स्वीकार करें, आत्मसात् करें, तदनुसार अनुसरण करें। इससे मोक्ष का राज-मार्ग आपके लिये सुलभ बनेगा।" ___ “सज्जनता का चिन्ह है, नम्रता, इसी को सभ्यता व शिष्टता भी कहते हैं। विद्या का वास्तविक प्रतिफल भी यही है।" “ संयम का मार्ग अति कठिन तो है, पर आत्मा का उद्धार उसी से संभव है। जो सर्यमित जीवन नहीं जी सकते, वे कीचड़ के कीड़ों की तरह गई गुजरी जिंदगी जीते हैं।" " पी नहीं प्रभु-भक्ति की, हाला जिसने, उसे क्या पता दोस्तों, हृदयगत होने के बाद __ यह क्या करतब दिखाती है किस तरह वह तुमको, शिव सुंदरी के दर्शन कराती है। " “ इच्छा और तृष्णा से कर्म-बंध के अलावा कुछ नहीं मिलता। " " आध्यात्मिक मार्केट में ज्ञान रहित व्यक्ति चलेगा पर आचार शून्य 31 For Private And Personal Use Only

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