Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्यक्ति नहीं चलेगा । 66 " अंधा होकर किसी विचार से चिपके रहने की अपेक्षा जिज्ञासु बनकर धार्मिक सत्यों की शोध करना उत्तम है 17 1 (4 www.kobatirth.org तुम अपने आपको भगवान् को अर्पित कर दो, वह ही उत्तम सहारा है । " इसी से वह भय, चिन्ता व शोक से मुक्ति पा सकता है । "L == Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसक्ति में अनन्त दुःख है । अनासक्ति में अनन्त सुख । " आत्मा तप और त्याग द्वारा सूक्ष्म एवं उपयोगी बनता है, जिससे हम उर्ध्वगामी बनते हैं । " 66 जैसे हाथी को वश में रखने के लिये अंकुश आवश्यक होता है और नगर की रक्षा के लिये पुलिस आवश्यक होती है । वैसे ही इंद्रियों के विषयनिवारण के लिये, परिग्रह का त्याग आवश्यक होता है। क्योंकि परिग्रह के त्याग से इंद्रियाँ वश में रहती हैं । " 4 जैसा खावे अत्र, वैसा होवे मन " 32 For Private And Personal Use Only

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