Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (11) मध्यस्थः(12) सुदृष्टिः(13) गुणानुरागीः(14) सपक्षयुक्तः(15) सुदीर्घ दृष्टिः(16) विशेषज्ञः पक्षपात रहित मध्यस्थ भाव वाला हो। दृष्टि जिसको पवित्र हो। गुणवानों से प्रेम करने वाला हो। सत्य कहने वाला हो। दूरगामी दृष्टिवाला हो। हिताहित को समझने वाला हो. तत्वज्ञ हो। ज्ञानवृद्ध और गुणवृद्ध का अनुसरण करने वाला हो। (17) वृद्धानुगः (18) विनीतः बड़ों तथा गुणीजनों का विनय करने वाला हो। (19) कृतज्ञः (20) परहित कर्ताः(21) लब्ध लक्ष्यः - अपने पर दूसरों के किये हुए, उपकारों को नही भूलने वाला हो। दूसरों का हित करने वाला हो। अपने लक्ष्य को सम्यक् समझने वाला हैं। 59 For Private And Personal Use Only

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