Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 87
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (7) तीन में संतोष न करें :- धर्म-आराधना में, दान देने में,एवं तप करने में। (8) ज्ञान वृद्धि के तीन उपाय :- समय साधन और शौक। (9) तीन बड़े डॉक्टर :- हवा, पानी और धूप। (10) कैसे हँसते हैं :- उत्तम पुरुष आँखों से, मध्यम पुरुष होठों से, और सामान्य पुरुष दाँत दिखाते हैं। (11) तीन प्रकार के जीवन :- नारियलवत् (आंतरिक मधुरता युक्त), बेरवत् (बाहय मधुर), अंगूरवत्:-(भीतर बाहर, दोनों मधुर) __(12) मनुष्य की तीन श्रेणियाँ :- पाप करने से पहले सोचने वाले ज्ञानी, पाप करके सोचने वाले अज्ञानी, कभी नहीं सोचें वे दुष्ट। (13) तीन बाते याद रखो :- धोखा देना नीचता, धोखा खाना मूर्खता, धोखे से बचना चतुरता। (14) तीन बोल अमोल :- धन गया कुछ नही गया, स्वास्थ्य गया कुछ गया। चरित्र गया, सदाचार गया तो सब गया। (15) अध्ययन के तरीके :- पहले वह सीखो जो आवश्यक है, फिर वह सीखो जो उपयोगी है, फिर वह सीखो जिससे प्रतिष्ठा बढ़े। (16) श्रमिक के तीन रूप :- जो शरीर से श्रम करे वह श्रमिक, जो शरीर एवं मस्तिष्क दोनों से काम करें वो शिल्पी, जो मस्तिष्क व हृदय से काम करे वह कलाकार। (17) तीन के साथ तीन चाहिये :- भोजन के साथ पाचन, धन के साथ वितरण एवं पठन के साथ चिंतन। 78 For Private And Personal Use Only

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