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छेद नही होना चाहिये नाव में खेद नही होना चाहिये दॉव में
विवेक में सर्वत्र सार है।। भेद नहीं होना चाहिये गॉव में।
आरोग्य टिकता नहीं पथ्य बिना। विश्वास टिकता नहीं सत्य बिना।। कान अपने कभी कच्चे न रक्खो। भाषण फलता नहीं तथ्य विना ।।
एकता की बातें चला करती है। समता की बातें चला करती है।।
बातें तो बातें ही हैं यारो। बातों से दुनिया थोडा ही चला करती है।।
हम ईश्वर के बनें, उसके लिये जिएं, स्वयं को इच्छाओं और कामनाओं विहीन कर दें, तो परमेश्वर को अपने कण-कण में लिपटा हुआ अनंत आनंद की वर्षा करते हुए पा सकेंगे।
अंतःकरण में विवेक और संतोष से ही स्थायी सुख-शांति और प्रसन्नता मिलती है। चिंतन के स्तर पर किये गए प्रयास व पुरुषार्थ से ही स्थायी सुख-शांति मिल सकती है। स्थूल पदार्थों के द्वारा नहीं।
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