Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (6 -: कुछ जानकारियॉ : धर्म वह है, जो जीवन में, शांति व सद्गुण भरता हैं । धर्म वह है, जो मन में समता व समाधि करता हैं ।। जानता है, हर मानव इस बात को, बंधुओ धर्म वह है जो कर्मों के दल दल को हरता है । == धर्म साधन है, मोक्ष साध्य = Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैसे साँचे में डालिये, वैसा बने आकार । मानव वैसा ही बने, जैसा उसका विचार ।। सूर्य गर्म है चांद दगीला तारों का संसार नही है । जिस दिन चिता न जले, ऐसा कोई त्यौहार नहीं है ।। ( 2 ) गति चपल :- ऊँट के माफिक चले। ( 3 ) भाषा चपल : - बिना सोचे समझे बोले। 55 " चार चपल को ज्ञान नहीं आता :( 1 ) स्थान चपल : - इधर-उधर फिरता और बैठता रहें । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90