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-: नवनीत :
“दुःख हो या सुख, आंसू हो या मुस्कान, पर एक न भूलें, यह भी चला जायेगा ।"
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"कोई भी इतना धनवान् नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके ।”
“जो बाते घाव बनकर रिसती रहें, टपकती रहे, उन बातों को भूलना
अच्छा।"
“औरों को उनकी खामियाँ बताना, उनकी कमियों का उन्हें अहसास दिलाना, उनकी गल्तियाँ बताना, यह तो सामान्य व्यक्ति भी करता हैं, परंतु उनकी दूसरी विशेषताओं से परिचित करना, उनकी अच्छाइयों की ओर इशारा करना, उनकी खूबियों की तारीफ करना, यह सब मुश्किल तो है ।
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