Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

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Page 58
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -: आचार्य पद्मसागर सूरीजी के श्री मुख से : " संसार में आसक्त व्यक्तियों के लिये संयम का मार्ग कांटों की डगर है। पर साधक तो कांटों को फल समझते हैं, विना कष्ट के कभी इष्ट नहीं मिलता। सहन किये बिना कोई सिद्ध नहीं बनता।" “जब दूसरे का दुःख-दर्द अपना लगे तो मानना कि अब साधना-पथ पर प्रयाण हुआ है। ऐसी भावदशा आदमी को महापुरूष बनाती है। वे सौभाग्य के क्षण होंगे, जब भाव दशा उत्पन्न होगी।" " आपके पास अपार बुद्धि हो। अद्वितीय शारीरिक शक्ति हो, अटूट धन-संपत्ति हो, खूबसूरती और यौवन हो फिर भी याद रखना : उछल लो कूद लो, जब तक जोर हैं इन नलियों में। याद रखना इस तन की उड़ेगी खाक गलियों में।।" करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात के, सिल पर पड़त निशान।। 44 For Private And Personal Use Only

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