Book Title: Bikhre Moti
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Ashtmangal Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरु-दर्शन व देव दर्शन धर्म-मार्ग में प्रवेश का प्रथम चरण हैं। इसे नित्य करें। " अंधा सेनापति कभी दुश्मन को नहीं हरा सकता, उसी तरह मिथ्यात्व दृष्टिवाला व्यक्ति कभी भव सागर पार नहीं उतर सकता। इसलिये मिथ्यात्व से बचे।" ५ मिथ्यात्व कर्म बंधन का मुख्य कारण है, अगर इससे बच गये तो क्रमशः सभी कारणों से बचते हुए मुक्ति को प्राप्त करोगे।" " अहंकार नरक का द्वार है। " “ ऐसी कोई प्रवृति नहीं करना, जिससे किसी के मन में उद्विग्नता आती हो या आत्मा में दुर्ध्यान पैदा होता हो।” "संस्कार शन्य जीवन जीने वालों की संतान भी कभी संस्कार नहीं पा सकती।" 37 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90