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स्व-विचार ही मानव को महामानव या महादानव के रूप में इस जगत् में स्थापित करता है।
कृपया विचार स्वच्छ एवं निर्मल रखिये।
" साहस का मार्ग जोखिम भरा तो है, पर गरिमा उसी पर टिकी हुई है; जिन्हें जोखिम से भय लगता है। वे कीचड़ के कीडों की तरह गई गुजरी परिस्थितियों में ही जीवन जीते हैं। "
यह हँसना कैसा और यह आनन्द कैसा? जबकि समूचा विश्व अग्नि-ज्वाला में जला जा रहा है। भयंकर अंधेरे में घिरे तुम रोशनी क्यों नहीं ढूंढते?
“आत्मा का खजाना अपूर्व है, उसकी तुलना किसी भी पार्थिव पदार्थ से नहीं हो सकती।"
“ मिट्टी ने कुम्हार से कहा, “मुझे ऐसे पात्र का रूप दे दीजिये, जो अपने में शीतल जल भर कर लोगों की प्यास बुझा सके, तब कुम्हार ने कहा, यह
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