Book Title: Bhisshaka Karma Siddhi
Author(s): Ramnath Dwivedi
Publisher: Ramnath Dwivedi

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ से प्रेरित, स्थिर और पूर्ण शरीर वाले समाहित गति से युक्त, स्निग्ध-गम्भीरअनुनादित-उच्चस्वर ले बोलने वाले, मुख-ऐश्वर्य वित्त के उपभोग करने वाले तथा प्रायः अपने सहम गुणों वाले बहुत से सन्तानों के उत्पादक मनुष्य विरजीवी होते हैं।' ___श्लैष्मिक प्रकृति वाले, बलवान् , धनवान् , विद्यावान् , ओजस्वी तथा शान्त व्यक्ति दीर्घायु होते है ।' इन लक्षगों से विपरीत व्यक्ति अल्पायु होते है। ____ इसके अतिरिक्त कुछ आकस्मिक परिवर्तनों के आधार पर भी आयुमर्यादा बताने का उपदेश भी आयुर्वेद में पाया जाना है। इन्द्रिय, इन्द्रियार्य, मन, बुद्धि और चेष्टाओं में आकस्मिक परिवर्तनों के कारण अरिष्ट स्वरूप के लक्षण पैदा हो जाते है। इनको अनिमित्त या अरिष्ट लनग कहते है। इन अनिमित्त लनगों के आधार पर आयु की मर्यादा क्षण, मुहूर्त, दिन तीन पाँच सात दस-बारह, पन, माल, हेमान और वपो में बतायी जा सकती है । ( देन चरक इन्द्रिय स्थान)। इस प्रकार भायु की काल मर्यादा ( Logivity) का भी उपदेश आयुवेंट करता है। आयु तीन प्रकार की दीर्व, मध्य और अल्प होती है । आयुर्वेद के द्वारा विविध आयु का निर्णय सम्भव है। सर्वभौम ( Universal ) प्रयोजन उद्देश्य किसी तन्त्र के परिचय में उसके चार अङ्गों की जानकारी आवश्यक होती है। अधिकारी-सम्बन्ध विषय तथा प्रयोजन । यहाँ पर आयुर्वेद की इतनी लम्बी व्याख्या के अनन्तर स्वाभाविक उत्सुकता पैदा होती है कि आयुर्वेद का प्रयोजन क्या है । आयुर्वेद के दो ही प्रयोजन हैं स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा तथा रोगी हो जाने पर उसके विकार का प्रशमन । 'प्रयोजनं चास्य स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणमातुरस्य विकारप्रशमनञ्च ।' (चर० सू० ३०) आरोग्य को बनाये रखना तथा रोगों से मुक्ति करना इन दो उद्देश्यों से प्रेरित होकर ही ऋपियों ने आयुर्वेद का उपदेश किया है। धर्म, अर्थ, काममोक्षों के साधन के लिये नीरोग रहना परमावश्यक है। यदि क्वचित् रोग हो जाय तो उम रोग का दूरीकरण भी एकान्तत लक्ष्य चिकित्सा विज्ञान का है : धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मृलमुत्तमम् । रोगास्तस्यापहार. श्रेयसो जीवितस्य च ।। (च० सू० १) यह प्रयोजन किसी एक वर्गवाद के भीतर सीमित चिकित्सा-गास्त्र का नहीं है, बल्कि एक सार्वभौम सिद्धान्त है। विश्व की जितनी भी ज्ञान या अज्ञात चिकित्सा पद्धतियाँ प्रचलित हैं सबका अन्तिम लक्ष्य या सभी का अवसान उप

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 779