Book Title: Bhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Author(s): Amityashsuri
Publisher: Sankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ ऋण स्वीकार : * श्री लब्धि विक्रम स्थूलभद्रसूरि पट्टालंकार कविरत्न वर्धमान तप समाराधक पू. आ. भ. श्रीमद् विजय कल्पयशसूरीश्वरजी म. सा. ने 'ज्ञान आँख - विधि पाँख' लिखकर देव गुरू धर्म विवरण की ढूंक नोंध दारा अभ्यासियों को विषय की जानकारी देकर पुस्तक का गौरव बढ़ाया। * स्वाध्याय मग्न, वर्धमान तपोरत्न पू. आ. भ. श्री. वि. अमितयशसूरीश्वरजी म. सा. ने स्वाध्याय मेंसे अपना अमूल्य समय निकालकर संशोधक बने। * तपस्वीसम्राट्ररत्न वर्धमान तपोनिधि (१००+४३) प्रवर्तक प्रवर पू. मुनिश्री कलापूर्णविजयजी म. सा. श्रुत भक्ति हेतु हिन्दी भाषी सुगमता से अभ्यास कर सके यही लक्ष्य सिद्ध करने के लिए हिन्दी भाषा में छपवाने के लिए प्रेरक बने । * कर्म निर्जरा हेतु मीठालालजी महात्मा (गुरुजी) गुर्जर भाषा से हिन्दी भाषा में परिवर्तित किया । * विद्याप्रेमी समाजसेवी कर्नाटक ज्योति श्रीमान महेन्द्रजी मुणोत (मारुति मेडीकल, बैंगलोर) ने विमोचन उद्घाटनकर्ताबनकर पुण्य लक्ष्मी का सद्व्यय कर सम्यग ज्ञान के प्रति आस्था के केन्द्र बने । * श्रीमान सोहनलालजी तालेड़ा ने द्रव्य सहायक के साथ ही पुस्तक के प्रकाशन में प्रूफ संशोधन एवं छपाई के कार्य में अथक प्रयास किया । * अभ्यासी सरलता से पढ़ सके ऐसे स्वच्छ एवं सुन्दर छपाई आदि में श्रीमान गौतमजी बागरेचा (बालोतरा वाला) मधुकर एन्टरप्राईजेज, बैंगलोर ने ध्यान देकर पुस्तक निर्माण कार्य में सहयोग प्रदान किया । तप्त आत्माओं के लिए शीतल प्याऊ जैसा यह 'भाष्य त्रयम्' पुस्तक में सम्यक् ज्ञान के प्रति प्रीतिधारा के दान का प्रवाह बहाकर सकत का भागी बने । नामी अनामी सभी सहायकर्ताओं का भी ऋण स्वीकार करते हुए तृप्ति की अनुभूति करते हैं । अन्तत: यह "भाष्य त्रयम्" पुस्तक का अभ्यासियों द्वारा अभ्यास कर देव गुरू धर्म के प्रति श्रद्धावान बनकर सम्यक् ज्ञान और सम्यक् क्रिया द्वारा मोक्षदार प्राप्त करें। यही शुभ भावना के साथ । श्री नाकोड़ा भैरव ट्रस्ट का जय जिनेन्द्र । दिनांक ६.1.00 (श्री पार्श्व नाकोड़ा भैरव तीर्थ शीला स्थापना दिन) VI

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 222