Book Title: Bhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya Author(s): Amityashsuri Publisher: Sankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth View full book textPage 7
________________ प्रकाशक के दो बोल .. || श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथाय नमः। . परम कृपालु परमात्मा ने मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य बताया है कि जन्म जन्मान्तर के बंधनों से मुक्त बन कर मोक्ष प्राप्ति का परम फल प्राप्त करें। इस हेतु आत्म साधना करने के लिए सन्मति एवं सुसंस्कार प्राप्त करके धर्म ग्रन्थों का अध्ययन श्रवण चिन्तन मनन अति आवश्यक है । इसी संदर्भ में हमारे परम उपकारी दक्षिण केशरी परम पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय स्थूलभद्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टालंकार प.पू. आ. भ. श्री कल्पयश सू. म.सा. एवं स्वाध्याय मन प.पू. आ. भ. श्री अमितयश सू. म.सा. और प्रवर्तक प्रवर तपस्वी सम्राट्ररत्न वर्धमान तप की १००+४३ ओली के आराधक प्रवर्तक पू. मुनिराजश्री कलापूर्णविजयजी म.सा. की प्रेरणा एवं निश्रा में गत दि.२७.०१.२००७ को हर्षोल्लासपूर्वक हमारे "श्री नाकोड़ा भैरव ट्रस्ट" दारा संचालित “श्री संकटमोचन पार्श्व-भैरव तीर्थधाम" की भूमिपूजा हुई एवं दि.६.०५.२००७ को भारतवर्ष के तमाम संघों की उपस्थिति में उपरोक्त गुरूदेवों की निश्रा में तीर्थ की शिलान्यास विधि सम्पन्न कर बैंगलोर विजयनगर पाईपलाइन श्री संभव लब्धि-जैन श्वे. मू. संघ मंदिर की प्रथम वर्षगांठ की ध्वजारोहण शासनप्रभावना सह करवाकर चैन्नई (मैलापुर) संघ की आग्रहपूर्ण चातुर्मास की विनंति स्वीकृत कर यहाँ पधारे। हमारे ट्रस्टमण्डल , द्रव्य सहायकों एवं उद्घाटन कर्ता श्रीमान् महेन्द्रजी मुणोत मारुति मेडीकल, बैंगलौर' वालों ने जो यह ग्रन्थ प्रकाशन कार्य में अपनी लक्ष्मी का सद्व्यय किया है उन सभी ज्ञान पिपासु आत्माओं को हम हमारे ट्रस्ट की | ओर से धन्यवाद देते हैं। हिन्दी भाषी क्षेत्र में उपकारक बने इस हेतु को लक्ष में रखकर तपस्वी सम्राट् रत्न वर्धमान तपोनिधि १०० + ४३ ओली के आराधक प्रवर्तक प्रवर मुनि श्री कलापूर्ण वि. म.सा.की प्रेरणा से 'श्री यशोविजयजी जैन संस्कृत पाठशाला', मेहसाणा द्वारा गुर्जर भाषा में प्रकाशित तीन भाष्य का हिन्दी भाषा में भाष्य त्रयम्' नामक यह पुस्तक प्रथमबार 'श्री नाकोड़ा भैरव ट्रस्ट' द्वारा प्रकाशित हो रहा है जिसका हमें मेघ-मयूर जैसा परम आनन्द है । सहयोगियों का ऋण स्वीकार करते हैं।Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 222