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अङ्क ३
दृश्य १ (प्रेत-भू के भयंकर वातावरण में धू-धू कर जलती हुई उदयसिंह की चिता, चिता से कुछ दूरी पर मन्द स्वर में गुप्त परामर्श करते हुए कुछ सामन्त )
एक-ओह ! राणा जिस शरीर के मोह में पड़ कर क्षात्र धर्म की अवहेलना करते रहे, आज उनका वही शरीर चिताग्नि में भस्म हो रहा है। विलास की जिन सामग्रियों को एकत्रित करने में उन्होंने जीवन व्यतीत कर दिया, उनमेंसे वे एक भी अपने संग न ले जा सके।
द्वितीय-पर हमारे राणा ने वीर-कुल में जन्म लेकर भी कर्मवीर का धर्म नहीं निबाहा, जीवन के अन्तिम क्षणों में भी अपनी अधर्मता का एक प्रमाण और छोड़ गये। ___ तृतीय-वास्तव में उन्होंने सनातन उत्तराधिकार विधिका उल्लंघन ' कर गृह-कलह का बीजारोपण ही किया है । ___ चतुर्थ-और वह बीज भी द्रुतगति से वृक्ष का रूप धारण कर रहा है।
पंचम-ज्ञात हुआ है कि प्रताप के मातुल झालौर राव प्रताप को मेवाड़ के राज्य पर अभिषिक्त करने के लिये प्रयत्नशील हैं।
प्रथम-उनका यह प्रयत्न अनुचित नहीं, वीर राजकुमार प्रताप के रहते अयोग्य जगमल सिंहासन पर प्रतिष्ठित हो, यह अन्याय कोई भी न्यायप्रिय सहन नहीं कर सकता।