Book Title: Bhamashah
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Jain Pustak Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 175
________________ भामाशाह निरंतर राजपूत वीर और साहसी भील उनके दल में प्रविष्ट होते जा रहे हैं। ___ अकबर-निस्सन्देह; भामाशाह की इस सहायता ने अमृत में विष घोल दिया । सम्भवतः अब महाराणा अपने सभी दुर्ग हमसे छीनने के प्रयत्न में होंगे। पर शाहवाज खां ने कोई सम्वाद नहीं भेजा ? ( द्वारपाल का प्रवेश ) द्वारपाल-( अभिवादन कर ) सम्राट ! उदयपुर से एक सैनिक कुछ समाचार लाया है, वह आपसे मिलने का अभिलाषी है । अकबर-जाओ, उसे यहां शीघ्र उपस्थित होने दो। द्वारपाल-जो आज्ञा ! ( गमन, क्षणोपरान्त एक यवन-सैनिक का प्रवेश)। सैनिक-( अभिवादन कर ) मैं एक अशुभ सम्वाद लेकर आया हूं। अपने मन्त्री से प्राप्त सहायता के बलसे महाराणा ने उदयपुर पर अधिकार कर लिया है। अकबर-यह महा अनर्थ हुवा। तुम शीघ्र आदि से अन्त तक पूर्ण विवरण सुनाओ। सैनिक- यवनेन्द्र ! सर्व प्रथम महाराणा के युवराज अमरसिंह ने आक्रमण कर शेरपुर पर अधिकार कर लिया, पुनः महाराणा और उनके मन्त्री ने देलवाड़ा के दुर्ग को भी घेर लिया। __ अकबर-क्या देलवाड़ा दुर्ग पर शाहबाज खां और उनके सैनिक नहीं थे ? ___ सैनिक-थे, वरवीर राजपूतों ने हमारे सैनिकों को क्षणमात्र में मृत्यु की गोद में सुला दिया । महाराणा के मन्त्री के प्रहारसे शाहबाज १६

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196