Book Title: Bhamashah
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Jain Pustak Bhavan

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Page 177
________________ भामाशाह दृश्य स्थान-उदयपुर ( विजयोत्सव के उपलक्ष में आयोजित सभा के लिये सुसज्जित विशाल कक्ष, एक ओर मध्य में महाराणा और युवराज के लिये रिक्त सिंहासन, अन्य ओर पाश्र्व में एक आसन पर भामाशाह, राज्य के राजपूत सामन्त, भीलनायक, विद्वज्जन और गण्यमान्य नागरिक, सभा भवन के पाव के कक्ष में महाराणी पद्मावती तथा नगर की अन्य प्रतिष्ठित महिलाएं, महाराणा प्रताप सिंह और युवराज अमर सिंह का अंगरक्षकों के साथ सभा-भवन में प्रवेश, सभा-भवन के चारों ओर स्थित सैनिकों द्वारा कोष से खड्ग निकाल अभिवादन, महाराणा और युवराज के आसन ग्रहण करने पर एक गायिका का वीणा-वादन-पूर्वक गाना ) सजा लो, सखि ! पूजन का थाल ! हुवा फिर उन्नत मां का भाल॥ विवश राणा के चिर प्रस्थान__ समय में भामा का धनदान, चना दानी प्रभुका वरदान । सजा दल, पायी सिद्धि महान । पिन्हायी जय श्री ने वरमाल, सजा लो सखि पूजन का थाल ।। फले फूले शासन की बेलि, करे सुख शान्ति यहां नव केलि, सदा हों 'राणा' से ही भूप । चतुर 'भामा' से सचिव अनूप !!

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