Book Title: Bhagwan Mahavir Ka Jivan Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 15
________________ महावीर का स्पष्ट उद्घोष था कि, न कोई हीन है और न ही कोई उच्च हीनता और उच्चता की भावना सामाजिक समता को विश्रृंखलित करती है, अतः स्वस्थ समाज रचना के लिए हमें इससे ऊपर उठना होगा। महावीर ने सभी की समता को स्वीकार किया है। उन्होंने अपने भिक्षुओं को स्पष्ट निर्देश दिया था कि समृद्धशाली और निर्धन में कोई भेद की दीवार मत खींचो। सभी को समान रूप से सन्मार्ग की शिक्षा दो और सभी के यहाँ से समान रूप से भिक्षा प्राप्त करो। इस प्रकार, महावीर सामाजिक समता के पोषक थे। महावीर की जीवनदृष्टि का तीसरा पहलू था कि वे दूसरों के अस्तित्व और दूसरों के विचारों को भी सम्मान देना अत्यावश्यक मानते थे। दूसरों के अस्तित्व के प्रति सम्मान का अर्थ था कि व्यक्ति को अन्य किसी का साधन के रूप में प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। इसी से अहिंसा के सिद्धान्त का प्रकटन होता है, जो शोषण का - चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों न हो, विरोध है। शोषण के मूल में स्वार्थ की भावना होती है। स्वार्थ से संग्रह की प्रवृत्ति पनपती है और उसी के परिणामस्वरूप संचय होता है। संचय महावीर की दृष्टि में सामाजिक हिंसा है, क्योंकि वह व्यक्ति को दूसरों के उपभोग से वंचित करता है। इसी प्रकार, दूसरों के विचारों का सम्मान ही महावीर के अनेकान्त दर्शन का आधार बना। महावीर यह मानकर चलते थे कि सत्य के सूर्य का उदय किसी के भी आंगन में हो सकता है, अतः वे कहते थे 'सत्य जहाँ कहीं भी हो उसे स्वीकार करो । यह मत मानो कि मैं जो कुछ कहता हूँ और जानता हूँ, वही सत्य है । तुम्हारा विरोधी भी अपनी दृष्टि से सत्य हो सकता है।' महावीर का यह अनेकान्त वस्तुतः वैचारिक सहिष्णुता का प्रतीक है। आज विश्व में शोषण, असहिष्णुता और हिंसा का जो ताण्डव हो रहा है अथवा होने जा रहा है, उससे बचने के लिए हमारे पास महावीर का दर्शन ही एक ऐसा विकल्प है, जिसे अपनाकर मानव जाति के अस्तित्व को सुरक्षित रख सकते हैं। सम्यक् जीवनदृष्टि का विकास आवश्यक मानव व्यक्तित्व का विकास उसकी अपनी जीवन - दृष्टि पर आधारित होता है । व्यक्ति की जैसी जीवन - दृष्टि होती है, उसी के आधार पर उसके विकास की दिशा निर्धारित होती है। कहा भी गया है कि 'यादृश दृष्टि, तादृश सृष्टि', व्यक्ति की जिस प्रकार की जीवनदृष्टि होती है, उसी प्रकार उसका जीवन व्यवहार होता है और जैसा जीवन

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