Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 3
________________ भद्रबाहु और कल्पसूत्र संक्षिप्त जैन इतिहास -> <जैन लोगों में श्वेताम्बर दिगम्बर दो फ़िरके हैं और वर्तमान समय में राजपूतानां वगैरह देश छोड़ कर प्रायः सब जौन व्यापार में लगे हैं और व्यापार में कुशल होने से धनाढ्य भी हैं और दानवीर होने से प्रायः दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं । सेठ प्रेमचन्द रायचन्द को वलायत वाले भी अच्छीतरह से जानते हैं जिस ने अमरीका की लड़ाई के समय रुई खरीद कर क्रोड़ों रुपये थोड़े समय में प्राप्त किये थे और फिर क्रोड़ों रुपये दान में भी दिये हैं सारे भारत वर्ष में उस की स्कोलरशिप दी जाती हैं तथा उसने धर्मशालायें और स्कूलों के मकान तक बनवाये हैं वे कार्य प्राज इस के मृत्युवश होने पर भी उस यशस्वी की जीवित कीर्ति फैला रहे हैं। ___ वर्तमान काल में राय बद्री दास बहादुर वृद्ध मोजूद हैं जिन्होंने कलकत्ता के एक रमणीय जैन मन्दिर के बनाने में बेशुमार धन लगाया है संमेत शिखर पहाड़ पर पारसनाथ की. टोंक आज भी नई मोजूद है। तीन सौ वर्ष पहिले प्रताप राणा के दुःख के समय में २५००० आदमी के बारह वर्ष तक युद्ध में पोषण के योग्य धन केक्त अपने पास से देने वाला मामासा जैन ओसवाल आज भी इतिहास में प्रसिद्ध है।

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