Book Title: Atthpahud
Author(s): Kundkundacharya, Jaykumar Jalaj, Manish Modi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ प्रकाशकीय तीर्थंकर भगवान् महावीर और गौतम गणधर के बाद आचार्य कुन्दकुन्द जैन परम्परा के प्रतिष्ठित आचार्य हैं। उनका अट्टपाहुड ग्रन्थ अपने व्यावहारिक और यथार्थवादी निर्देशों के कारण प्रशासनिक अनुशासन की एक ऐतिहासिक महत्त्व की रचना है । उसे हिन्दी अनुवाद के साथ प्रस्तुत करना हमारे लिए गौरव का विषय है। अट्ठपाहुड का यह अनुवाद संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश जैसी भाषाओं में गुम्फित आचार्यों की रचनाओं की भाषागत दूरी को ख़त्म करके उन्हें मात्र शिरोधार्यता का ही नहीं स्वाध्याय का भी सुलभ विषय बनाने के हमारे श्रृंखलाबद्ध प्रयत्न की ही एक और विनम्र कड़ी है। हिन्दी ग्रन्थ कार्यालय के लिए रत्नकरण्ड श्रावकाचार, समाधितन्त्र, इष्टोपदेश, परमात्मप्रकाश, योगसार, द्रव्यसंग्रह, ध्यानशतक, ध्यानस्तव और प्रभाचन्द्रकृत तत्त्वार्थसूत्र की तरह ही आचार्य कुन्दकुन्द कृत अट्ठपाहुड का हिन्दी अनुवाद भी हमारे विशेष अनुरोध पर ख्यात साहित्यकार डॉ. जयकुमार जलज ने किया है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रकाशित जिनकी पुस्तक भगवान् महावीर का बुनियादी चिन्तन अल्प समय में ही बीस संस्करणों और अनेक भाषाओं में अपने अनुवादों तथा उनके भी संस्करणों के साथ पाठकों का कण्ठहार बनी हुई है। आचार्य कुन्दकुन्द कृत अट्ठपाहुड का डॉ. जयकुमार जलज कृत यह अनुवाद भी उनके अन्य अनुवादों की तरह ही मूल रचना का अनुगामी है। इसमें कहीं भी अपने पाण्डित्य आ खड़ा करने की प्रवृत्ति नहीं है । इसकी भाषा शब्द प्रयोग के स्तर पर ही नहीं, वाक्य संरचना के स्तर पर भी बेहद सहज और ग्राह्य है। वह एक ऐसी भाषा है जैसी संस्कृत अथवा मध्ययुगीन भारतीय आर्य भाषाओं के हिन्दी अनुवादों में साधारणतः प्रयुक्त नहीं मिलती। यह अनुवाद आतंकित किये बिना सिर्फ़ वहीं तक साथ चलता है जहाँ तक ज़रूरी है, और फिर भगवान् महावीर के सिद्धान्तों को बेहद सरल रूप में प्रस्तुत करते हुए चतुर्विध संघ के ख़ास तौर पर साधु परमेष्ठी के आचरण को अपने स्नेहिल, प्रेरणात्मक लेकिन दृढ़ निर्देशों से निरन्तर अनुशासित रखनेवाले इस कालजयी ग्रन्थ का सहज सान्निध्य पाठक को सौंपता हुआ नेपथ्य में चला जाता है। अल्प समय के भीतर ही इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। यशोधर मोदी

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 146