Book Title: Atmasiddhi in Hindi and Sanskrit
Author(s): Shrimad Rajchandra, Udaylal Kasliwal, Bechardas Doshi
Publisher: Mansukhlal Mehta Mumbai
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परिचय ।
१०१ सकता । क्योंकि जिसका कर्तृत्व आरंभ-पूर्वक होता है वह कार्य साधारण या सादि होता है; अनादि नहीं होता।
(२) गीता वेदव्यासजीकी रची हुई मानी जाती है। परन्तु उसमें जो मुख्यतासे श्रीकृष्णने अर्जुनको उपदेश किया है उससे उसके रचयिता श्रीकृष्ण कहे जाते हैं। और यह बात संभव है। ग्रंथ श्रेष्ठ है, और ऐसे भाव अनादिसे चले आते हैं। परंतु यह संभव नहीं कि वैसे श्लोक भी अनादि चले आये हों। इसी प्रकार यह भी संभव नहीं है कि वह अक्रिय ईश्वरके द्वारा रची गई हो । सक्रिय अर्थात् किसी शरीर-धारीके द्वारा ही ऐसी क्रियाका होना संभव माना जा सकता है। इसी लिए इस बातके मान लेनेमें फिर कोई बाधा नहीं आती कि ईश्वर ‘सम्पूर्णज्ञानी' है और उसके द्वारा उपदेश किये हुए शास्त्र 'ईश्वरीय शास्त्र' हैं।
११ वाँ प्रश्न-“पशु आदिके द्वारा किये हुए यज्ञसे कुछ पुण्य होता है क्या ?" __ उत्तर-पशु-वधसे, उसके होमसे या पशुको थोड़ा भी दुःख देनेसे पाप ही होता है। फिर वह यज्ञके अर्थ वध किया जाय अथवा चाहे तो परमात्माके अर्थ मन्दिर में वध किया जाय । परंतु यज्ञमें जो थोड़ी-बहुत दानादि क्रिया की जाती है वह कुछ पुण्यका कारण अवश्य है। परन्तु उसमें भी हिंसाका सम्बन्ध होनेसे उसका अनुमोदन करना उचित नहीं है।
१२ वाँ प्रश्न---"यह कहो कि धर्म जब एक उत्तम वस्तु है तब उसकी उत्तमताके लिए प्रमाण पूछनेमें कुछ हानि है क्या ?"
उत्तर-प्रमाण न बतलाया जाय और बिना प्रमाणके ही यह प्रतिपादन किया जाय कि धर्म उत्तम है तो इसका यह अर्थ होगा कि अर्थ
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