Book Title: Atmasiddhi in Hindi and Sanskrit
Author(s): Shrimad Rajchandra, Udaylal Kasliwal, Bechardas Doshi
Publisher: Mansukhlal Mehta Mumbai
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परिचय ।
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२३ वाँ प्रश्न-जगत्का प्रलय होता है ?
उत्तर-- प्रलयका यदि 'सर्वथा नाश' अर्थ किया जाय तो यह नहीं बन सकता; कारण सब पदार्थोंका सर्वथा नाश हो जाना संभव नहीं है।
और यदि प्रलयका यह अर्थ किया जाय कि सब पदार्थ ईश्वरादिमें लीन हो जाते हैं तो किसी रूपमें यह बात स्वीकार की जा सकती है। परन्तु मुझे तो यह भी संभव नहीं जान पड़ती। कारण, सब जीव तथा सब पदार्थ ऐसे सम-परिणाम किस तरह प्राप्त कर सकते हैं जिससे ऐसा योग बन जाय कि वे किसीमें मिल कर एक-रूप हो जायँ। और कदाचित् ऐसा समपरिणामका योग मिल भी जाय तो फिर उनमें विषमता नहीं बन सकेगी।
और यदि प्रलयका यह अर्थ किया जाय कि जीवमें अव्यक्त-रूपसे तो विषमता रहती है और व्यक्त-रूपसे समता रहती है, तो यह भी नहीं बन सकता; क्योंकि देहादिके सम्बन्ध विना विषमता किसके आश्रय रहेगी ? और यदि इसके लिए वेदादि (स्त्री-पुरुष नपुंसक-रूप)का आधार माना जाय तो सबको एकेन्द्रिय माननेका प्रसंग आवेगा; और ऐसा मान लेना फिर बिना कारण अन्य गतियोंको अस्वीकार करना कहा जायगा। अर्थात् ऊँची गतिके जीवको वैसे परिणामके नष्ट होनेका प्रसंग प्राप्त हुआ हो तो फिर उसे उसके प्राप्त करनेका संभव हो जायगा। इत्यादि बहुतसे विचार इस विषयमें उत्पन्न होते हैं। मतलब यह कि सब जीवोंके और सब पदार्थों के नाश रूप 'प्रलय-विधान'का होना असंभव है।
२४ वाँ प्रश्न-बिना पढ़े-लिखे प्राणीको केवल भक्ति द्वारा मोक्ष प्राप्त हो सकता है क्या ?
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