Book Title: Atmasiddhi in Hindi and Sanskrit
Author(s): Shrimad Rajchandra, Udaylal Kasliwal, Bechardas Doshi
Publisher: Mansukhlal Mehta Mumbai
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- परिचय ।
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होने चाहिए । हाँ, यह हो सकता है कि उसका पूरा ज्ञान न होकर थोड़ा ज्ञान हो । इसी प्रकार उसके स्वरूप परसे यह भी जाना जा सकता है कि भविष्यमें उसकी चेष्टायें किस रूप परिणमेंगी । और उस पर विशेषताके साथ विचार करनेसे यह बात अच्छी तरह ध्यानमें आ सकेगी कि भविष्यमें उसे कैसा भव मिलेगा और भूतमें वह किस भवमें था।
१८ वाँ प्रश्न-किसे खबर पड़ सकेगी ? उत्तर--इसका उत्तर ऊपर दिया जा चुका है।
१९ वाँ प्रश्न-जो आप मोक्ष प्राप्त हुए महात्माओंके नाम बतलाते हो, उसके लिए आधार क्या है ?
उत्तर-यदि यह प्रश्न मुझे खास लक्ष्य करके पूछते हो तो इसका उत्तर यों दिया जा सकता है कि जिसकी संसार-दशा अत्यन्त परिक्षीण हो गई है उसके ऐसे वचन होते हैं, ऐसी उसकी चेष्टायें होती हैं कि उनके द्वारा वैसा ही अनुभव अपनी आत्मामें भी होता है, और उसीके आधार पर वे मोक्ष प्राप्त कहे जाते हैं । और उसकी यथार्थताके लिए शास्त्रप्रमाण भी बहुत मिल सकते हैं।
२० वाँ प्रश्न--यह बात आप किस आधार पर कहते हैं कि बुद्ध भगवान् मोक्ष नहीं गये ?
उत्तर-उन्हींके सिद्धान्त तथा उन्हींके शास्त्रोंके आधार पर । यदि उनके शास्त्र-सिद्धान्त जैसे हैं वैसे ही उनके अभिप्राय भी हों तो वे अभिप्राय पूर्वापर विरुद्ध हैं। और यह पूर्वापर-विरुद्धता सम्पूर्ण ज्ञानका लक्षण नहीं है। और जहाँ संपूर्ण ज्ञान नहीं होता वहाँ पूर्ण-रूपसे राग-द्वेषोंका नष्ट हो जाना भी संभव नहीं । जहाँ वे होते हैं वहाँ संसारका होना संभव है।
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