Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 8
________________ रखनी है। __ कुवासनायें सुवासना से नष्ट की जा सकती है । आहार संज्ञा की कुवासना के सामने-तप के मानसिक झुकाव की सुवासना (सुसंस्कार) रुप-रसादि विषयों के सामने-उन पर अंकुश, नियंत्रण और उसके त्याग के झुकाव की सुवासना, परिग्रह की कुवासना के सामने दान, परिमाण, निर्लोभता और निःस्पृहता के मानसिक मोड की सुवासना ; आरंभ- समारंभ की वासना के सामने जीवदया के व आवश्यकता पर निग्रह के मानसिक मोड के सुसंस्कार, क्रोधादि कषायों के सामने क्षमादि की सुवासना, गतानुगतिकता के सामने तात्विक समझ की, लोकेषणा के सामने जिनाज्ञाबन्धन के मानसिक मोड के ससंस्कार इस प्रकार कुवासनाओं को मिटाया जा सकता है। यह सब प्रभु की पूजा के वक्त मन में नहिं लाना, परंतु अवकाश के समय Jain Education Internationat Private Personal Use Onlyww.jainelibrary.orgPage Navigation
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