Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 30
________________ (८) हृदय पर तिलक पूजा हृदय कमल उपशम बले,बाल्या राग ने रोष । हिम दहेवनखंड ने हृदय तिलक संतोष ॥ प्रभु ! आपके हृदय पर तिलक करता हूँ, क्योंकि आपने इस हृदयकमल में समस्त राग-द्वेष जला डाले हैं और उसमें उपशम का सौन्दर्य और कैवल्य लक्ष्मी बसा दी है । इस तिलक पूजा से प्रभु ! मुझे भी उपशम का सौन्दर्य और ज्ञान-लक्ष्मी मिले । हृदय की उद्धिग्नता दूर करने व समभाव हस्तगत करने का यह अजोड उपाय है। Jain Education Internationat Privater 6ersonal Use Onlyww.jainelibrary.org

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