Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 32
________________ ये नवांगी तिलक पूजा के रहस्य समझकर तथा उन्हें द्रष्टि पथ में रखकर पूजा व तिलक करने से पूजा चैतन्यवंती बनती है । हृदय में अनोखे शुभ अध्यवसाय जागते हैं, हृदय परिवर्तित होता है, तत्वचिन्तन को अवकाश मिलता है I इन रहस्यों का बार-बार चिन्तन-मनन करने से उन-उन अंगो की पूजा करते वक्त मन में शीघ्र ही सुन्दर भावों के करने बहेंगे, जिनका आनन्द अपूर्व होगा । परमात्मा का भावमय चिन्तन भव्य भावना : प्रभु के दर्शन करते वक्त अथवा अन्त में मंदिरजी से निकलने से पहले प्रभु के सामने स्थिर द्रष्टि रखकर निम्नलिखित भावना करके हृदय को प्रभु भक्ति से आर्द्र बनाईये । Jain Education International Private Personal Use Onlyww.jainelibrary.org

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