Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 39
________________ न भूलने लायक है, तीर्थंकरो का नाम (घर बैठे गंगा जैसा) आलस में मिली हुई गंगा है । मोर के मन को जैसे मेघ, चकोर के मन जैसे चन्द, भ्रमर के मन जैसे कमल, कोयल के मन जैसे आम, ज्ञानी के मन जैसे तत्व चिन्तन और योगी के मन जैसे संयम धारण, दानी के मन जैसे दान और न्यायी के मन जैसे न्याय सीता के मन जैसे राम और रति के मन जैसे काम, व्यापारी के मन जैसे दाम और पंथी के मन जैसे धाम, उसी तरह तत्व गुण रसिक जीव के मन को तीर्थंकर का नाम आनन्द देनेवाला है । तीर्थंकर के नाम को जपने वाले को नवनिधान घर में है, कल्प वेली आंगन में है, आठ महासिद्धि घट में है । तीर्थंकरों के पवित्र नाम ग्रहण से किसी भी प्रकार Jain Education Internationat Private S ersonal Use Onlyww.jainelibrary.org

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