Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 42
________________ नारक के जीवों को क्षणभर आनन्द हो जाता है, ५६ दिक्कुमारी और ६४ इन्द्रों के सिंहासन डोलने लगते हैं । अवधिज्ञान से आपका जन्म हुआ जानकर वे हर्ष से पागल बन जाते हैं। विनय-बहुमान पूर्वक अपना भक्ति-कर्तव्य करते हैं । ६४ इन्द्रों द्वारा १ करोड ६० लाख अभिषेक उल्लासपूर्ण हृदय से बहुमान पूर्वक किये जाते हैं । इतने उंचे सन्मान मिलने पर भी आपको अंशमात्र भी अभिमान नहीं होता ? कितने निरभिमानता और वैराग्य दशा ! प्रभु मुझे भी यह मिले। (२) राज्य अवस्था :- इसमें यह चिन्तन करना है कि हे नाथ ! महान पुण्य के उदय से आपको राजऋद्धिएश्वर्य-सत्ता-संपति मिली, फिर भी तनिक भी आसक्ति न रखी, निर्लेप रहे । - Jain Education Internationat Privat qersonal Use Onlyww.jainelibrary.org

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