Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 40
________________ - के काया के कष्ट के बिना ही भव जल तिरा जा सकता है । तीर्थंकरों के लोकोत्तर नाम कीर्तन रुपी अमतपान से मिथ्यामति रुपी विष तत्काल नाश पाता है तथा अजरामर पद की प्राप्ति हस्तामलकवत् बन जाती है, नाम जप से मन का रक्षण होता है, दुर्ध्यान अटकता है । बुरे विचार-आकुलता दूर होती है, चंचल मन स्थिर-पवित्र बनता है, अतः प्रतिदिन नियमित जाप का अभ्यास डालिये । ॐ हीं अहँ नमः', 'नमो जिणाणं जिअभयाणं * * * Jain Education Internationat Privatp ersonal Use Onlyww.jainelibrary.org

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