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जिससे कोई नयी इच्छा की अवस्था रहे ही नहीं । अथवा ऐसा चिन्तन किया जाय कि,यह फल पूजा करते करते पूजा के फल के रुप में मुझे आपकी अधिकाधिक भक्ति मिले। प्रतिदिन ऐसी भावना किया करने से स्वात्मा की अन्तिम पक्व दशा रुप परमात्मा की अभिलाषा जगती है । फिर सहज में ही यह दशा प्राप्त करने के मार्ग की ओर प्रयाण होगा।
जिन पूजा में नवांगी तिलक का रहस्य
श्री जिनेश्वर भगवान की भक्ति अष्टप्रकारी पूजा से होती है । उसमें दूसरी चन्दन पूजा में चन्दन से विलेपन करके केशर पूजा की जाती है, नौ अंगो पर तिलक किया जाता है । उसके पीछे विशिष्ट हेतु है । इस प्रत्येक तिलक पूजा में विशिष्ट भाव मिलाने से
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