Book Title: Ashtaprakari Navang Tilak ka Rahasya Chintan
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 15
________________ के कोने-कोने में सद्गुणों की सुवास और सुकृतों का सौन्दर्य मिले । प्रतिदिन प्रभु को पुष्प चढाते हुए यह भावना रखने से, इसके संस्कार आत्मा में जमा होने से, सद्गुणों और सुकृतों का पक्षपात(आदर) बढता है, दुर्गुणो (दुष्कृत्यों) के प्रति नफरत बढती है । इसीसे पहले में प्रवृति और दूसरे की निवृत्ति का प्रयत्न सुलभ होता है। (४) धूप पूजा ध्यान घटा प्रगटावीये, वाम नयन जिन धूप । मिच्छत दुर्गन्ध दूर टले, प्रगटे आत्म स्वरूप ॥ __चौथी धूप पूजा में यह चिन्तन करना है कि, प्रभु ! जैसे धूप का धुंआ ऊपर की ओर ही जाता है, उसी प्रकार हमारे दिल के भाव भी ऊंचे ही जायें : अर्थात शुभ जिनभक्ति जीवदया, क्षमादि में ही जाये, परंतु नीचे क्रोधादि तथा विलास और Jain Education International Private Sersonal Use Onlyww.jainelibrary.org

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