Book Title: Arhat Vachan 2011 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ जैन दर्शन सूक्ष्म विज्ञान को प्रतिपादित करता है और आधुनिक विज्ञान स्थूल जगत तक सीमित है। विज्ञान की पहुंच अभी तक सूक्ष्म जगत में नहीं है परंतु जैन दर्शन और विज्ञान दोनों मिलकर प्रकृति का सम्पूर्ण ज्ञान करा सकते हैं। संदर्भ - 28 1. 'षट् द्रव्य की वैज्ञानिक मीमांसा', डॉ. नारायणलाल कछारा, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007 2. 'मानस - 2', गुलाब कोठारी, राजस्थान पत्रिका प्रकाशन, जयपुर, 2001 प्राप्तः 03.07.10 अर्हत् वचन, 23 (3), 2011

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101