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"प्रज्ञा शोध संस्थान' लोकार्पित
देवी अहिल्या की नगरी इंदौर धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से सदा समृद्ध रही है। इसकी समृद्धि के लिए श्रीमानों और धीमानों ने पूरी लगन और निष्ठा के साथ अथक प्रयास किये हैं। इंदौर की खुशहाली के पीछे अनेकों लोगों की सोच व सहयोग रहा है। बाहर के प्रवासियों को सतत विकास व उन्नति का पथ दिखलाया है। श्री महावीर तपोभूमि प्रणेता युवा संत मुनि श्री प्रज्ञासागरजी महाराज का 2007 में इंदौर आगमन एक इतिहास बन गया। चातुर्मास की समाप्ति के पूर्व मुनिश्री की गृहस्थ जीवन की ज्येष्ठ भगिनी बा. ब. बहन डॉ. मीना दीदी (ज्योतिषाचार्य) एवं बहनश्री की अनन्य सहयोगी बा. ब्र. साधना दीदी के संयुक्त प्रयास से समवशरण मंदिर के समीप कंचनबाग साउथ तुकोगंज में 'प्रज्ञा शोध संस्थान' बनाने का संकल्प लिया। वर्ष 2007 में बोया गया यह बीज आज वृक्ष बनकर शोध क्षेत्र में संलग्न विद्यार्थियों के लिए घनी छाया बनने जा रहा है। इसके नीचे बैठकर शोधार्थी पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद एवं उदारमना लोगों के सहयोग से जैन दर्शन और जैन साहित्य को विश्वव्यापी बना सकेंगे ।
'प्रज्ञा शोध संस्थान' के लोकार्पण के लिए श्री महावीर तपोभूमि उज्जैन से चलकर इंदौर आये पूज्य मुनि श्री प्रज्ञासागरजी महाराज ने कहा कतिपय लोग हर अच्छे काम का विरोध करते हैं । विरोधियों की वजह से हर अच्छा कार्य और अच्छा होता चला जाता है। प्रज्ञा शोध संस्थान का भी कुछ लोगों ने विरोध किया परंतु पंडित श्री रतनलालजी शास्त्री की सत्प्रेरणा व सम्बल से मीना दीदी ने श्रीमती नवीन डोसी के समर्पण के फलस्वरूप शोध संस्थान बनकर तैयार हो गया। इनका यह अवदान आगामी समय में समाज के लिए वरदान सिद्ध होगा। मुनिश्री ने कहा ज्ञान जीवन की सच्ची पूंजी है जिसके पास ज्ञान नहीं वह धनवान होकर भी विपन्न है। हमारे बच्चे लौकिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन नई ऊँचाईयों को छू रहे हैं। मैं चाहता हूँ कि होनहार पीढ़ी अपने धर्म की और दर्शन की समृद्धि के लिए भी कुछ करें ताकि भगवान श्री महावीर स्वामी का यह धर्म जन-जन के मन का धर्म हो सके । 'प्रज्ञा शोध संस्थान' इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। हमें आपका आर्थिक एवं बच्चों का बौद्धिक सहयोग चाहिए ।
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श्रुत पंचमी के पावन प्रसंग पर लोकार्पित 'प्रज्ञा शोध संस्थान' का लोकार्पण दिनांक 05.06.11 को सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री नवीनजी जैन गाजियाबाद (उ.प्र.) के अर्थ सौजन्य से पंडित श्री रतनलालजी शास्वी बहनश्री बा.ब्र. लीला बहन इंदौर, बा. ब्र. बहनश्री डॉ. प्रभा जैन जबलपुर ने पूज्य गुरुदेव की उपस्थिति में रक्त वर्णी सूत्र खोलकर किया। इस अवसर पर समाजसेवी श्री माणिक चंद अजमेरा, श्री जयसेन जी जैन श्री अशोक कासलीवाल, डॉ. अनुपम जैन, श्री पवन जैन (दुर्ग), श्री सुदर्शन जैन पिण्डरई, बा. ब्र. संजय भैय्या जबलपुर, श्री माणकचंदजी पाण्ड्या इंदौर, श्री पप्पूजी पापड़ीवाल इंदौर, समाजसेवी श्रीमान माणकचंदजी पाण्ड्या, श्रीमती अर्चनाजी विनोद जैन, सिंगापुर, श्री अशोकजी अजमेरा, फरीदाबाद, श्री अशोक जैन (चाय वाले) का सम्मान किया गया। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ का सदैव से इंदौर में अकादमिक गतिविधियों के प्रसार का आग्रह रहा है एवं ज्ञानपीठ सभी नवागत गतिविधियों को सहयोग देती है। प्रज्ञा शोध संस्थान के विकास में सहयोग हेतु ब्र, मीना दीदी के अनुरोध पर डॉ. अनपुम जैन ने पूर्ण सहयोग एवं मार्गदर्शन का विश्वास दिलाया तथा ज्ञानपीठ में पधारे अमेरिकी विद्वान प्रो. बिटनी बउमान सहित स्वयं उद्घाटन समारोह में सम्मिलित हुए।
प्रज्ञा शोध संस्थान के लोकार्पण के अवसर पर 'तपोभूमि टाइम्स' मासिक पत्रिका का विमोचन किया गया। साथ ही तपोभूमि में आयोजित महामस्तकाभिषेक 2011 की ऊँ परिवार जयपुर के सौजन्य से प्रदर्शित डीवीडी का भी विमोचन किया गया। समारोह में उपस्थित समस्त गुरुभक्तों समाज के विशिष्टजनों का प्रज्ञा शोध संस्थान द्वारा हार्दिक आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री 108 प्रसन्न ऋषिजी महाराज ससंघ एवं क्षु. श्री असीम सागरजी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ ।
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अर्हत् वचन, 23 (3), 2011