Book Title: Apbhramsa Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 216
________________ ___19. भुजंगप्रयात छंद लक्षण -- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में 12 वर्ण और चार यगण (155) आते हैं । उदाहरण यगण यगण यगण यगण IS S SS 15 si 5s भडो को वि दिदो परिच्छिन्न गत्तो, 12 3 4 56 78 9 10 1112 यगरण यगण यगण यगण ISS SS SS SS सदन्ती समन्ती सचिन्धो सघत्तो । 123456789 101112 यगण यगण यगण यगण ।ऽ । । । भडो को वि वावल्ल-भल्लेहिं भिण्णो, 12 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 यगण यगण यगण यगण IS S i SSIS SI S S भडो को वि कप्पदुमो जेम छिण्णो । 12 3 4 5 67 8 910 11 12 -पउमचरिउ 40.3.2-3 अर्थ-कोई सुभट अपने हाथी, मन्त्री, चिह्न और छत्र के साथ छिन्न-शरीर दिखाई दिया। कोई योद्धा बावल्ल और भालों से विदीर्ण हो गया। कोई भट कल्पवृक्ष की तरह छिन्न हो गया। 20. प्रमाणिका छंद लक्षण -- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में आठ वर्ण क्रमश: जगण (151), रगण (s । s), लघु (1), गुरु (5) पाते हैं। अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 203 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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