Book Title: Apbhramsa Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 270
________________ (7) अन्य वैयाकरण विण्णि वि गहिरिमाई सायर णं अत्थि। कर.च. 2.16.9 हिन्दी अनुवाद दोनों गम्भीरता में सागर के समान हैं । हेमचन्द्र विण्णि वि गहिरिमि सायर णं अत्थि । (8) अन्य वैयाकरण हउं तुव (तुज्झ) सरणि विएसे पत्ती । धण्ण.च. 3.16.14 हिन्दी अनुवाद मैं तुम्हारी शरण में विदेश में पड़ी हेमचन्द्र हउं तुव (तुझ) सरणि विएसे पत्ती । धण्ण.च. 3.19.1 (9) अन्य वैयाकरण पुवक्किय दुक्कमेण (सो) णडिउ । हिन्दी अनुवाद पूर्व में किए हुए दुष्कर्म के द्वारा (वह) नचाया गया । हेमचन्द्र पुवक्किएण दुक्कमेण (सो) णडिउ । धण्ण .च.3.19.4 (10) अन्य वैयाकरण मई मुरिणवरहु दाणु पदिण्णउ । हिन्दी अनुवाद मेरे द्वारा श्रेष्ठ मुनि के लिए दान दिया गया। हेमचन्द्र मई मुणिवरहो दाणु पदिण्ण उ । घण्ण च. 3.20.2 (11) अन्य वैयाकरण रोवणह लग्ग (पयडिय) । हिन्दी अनुवाद रोने का चिह्न (प्रकट हुआ) । हेमचन्द्र रोवणहो लग्ग (पयडिय) । (12) अन्य वैयाकरण सयलु खरण भंगुरु (होइ)। धण.च. 3.21.6 हिन्दी अनुवाद प्रत्येक वस्तु क्षण में नाशवान होती है । हेमचन्द्र सयलु खरणे भंगुरु होइ । अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 257 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290