Book Title: Apbhramsa Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 281
________________ एक्कु (एक्क) 1/1 वि, प्रमंगलिउ (अमंगलिय) 1/1 वि, मुद्ध (मुद्ध) 1/1 वि, पुरिसु (पुरिस) 1/1, प्रासि (अस) भू 3/1 अक । (i) .......................... (iii) ...... (iv) .............. (v) ...... .. . . .. .. . .. . . .. ... . .. . ... . . (4) निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य बताइए(i) कमले विप्रसिप्रव्व । भाववाच्य (ii) ........................................... (iii) ............................... (iv) ............ ..... ........ ......................................... (5) निम्नलिखित वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य-परिवर्तन कीजिए(i) हडं लुक्कउं । (भाववाच्य) मई लुक्किज्जइ। (ii) ....................... (iii) ......................... (iv) ............. .. . .... .. .. .... ... . ... . . ... ... . .. .. ... . . ... .. . .. . .. . .. .... ... 6 (6) निम्नलिखित वाक्यों का दो प्रकार से अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए(i) वह नाचा । (क) सो णच्चियो। (ख) तेण णच्चिा /णच्चिमा/णच्चिउ । (ii) ............ ............. ........................ ........... . ................. 268 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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