Book Title: Apbhramsa Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 269
________________ क-अन्य वैयाकरणों द्वारा निर्दिष्ट संज्ञा-प्रत्ययों के स्थान पर हेमचन्द्र द्वारा निर्दिष्ट संज्ञा-प्रत्ययों के उदाहरण वाक्य प.त्र. 22.1.2 (1) अन्य वैयाकरण दिव्वई गन्धोदयाई देविहि पवियई। हिन्दी अनुवाद दिव्य गन्धोदक देवियों के लिए भेजा गया । हेमचन्द्र दिव्वई गन्धोदयाइँ देविहु पट्टवियई । सु.च. 2.10.2 (2) अन्य वैयाकरण सप्पाइ एक्क भवे दुक्खु दिति । हिन्दी अनुवाद सर्प आदि एक जन्म में दुःख देते हैं । हेमचन्द्र सप्पाइ एक्कहिं भवे दुक्खु दिति । (3) अन्य वैयाकरण महिलसहाएं रहसे चड्डिउ । जंबू.च. 9.8.5 हिन्दी अनुवाद पत्नी के सहयोग से एकान्त में चढ़ा गया । हेमचन्द्र महिलसहाएं रहसे चड्डिउ । (4) अन्य वैयाकरण (जणाई) विहाणई तित्थे (तित्थु) चलियई। जंबू.च. 9.8.6 हिन्दी अनुवाद (लोग) प्रभात में तीर्थस्थान को चले । हेमचन्द्र (जणाई) विहाणे तित्थे (तित्थु) चलियई। (5) अन्य वैयाकरण समगा लग्गा लोयाण (लोयह) जाणाविउ । जबू.च. 9.8.9 हिन्दी अनुवाद स्वमार्ग में लगे हुए लोगों के लिए बतलाया गया । हेमचन्द्र समग्गे लग्गा लोयाण (लोयह) जाणाविउ । 9.8.15 (6) अन्य वैयाकरण (हउं) णिहाणे (वड्ढिहे) अवरु उवाउ रयमि। हिन्दी अनुवाद (मैं) खजाने में वृद्धि के लिए अन्य उपाय रचता हूँ। हेमचन्द्र (हउं) णिहाणे (वड्ढिहे) अवरु उवाउ रयमि । 256 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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