Book Title: Apbhramsa Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 265
________________ Jain Education International 252 ] प्रकारान्त पुल्लिग __ (देव) इकारान्त पुल्लिग (हरि) प्राकारान्त स्त्रीलिंग (कहा) इकारान्त स्त्रीलिंग (मइ) एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन हि ए हिं तृतीया (हेमचन्द्र) ए एं (देवें) एण, हिं हि. (प्राहि एहिं) (हरि) एं (हरिएं) For Private & Personal Use Only तृतीया (अन्य) इ (देवि) ए (देवे) णा (प्राकृत) हि इ - इ हि (देवि, [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ देवि) ए (देवे) www.jainelibrary.org

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