________________
Jain Education International
252 ]
प्रकारान्त पुल्लिग __ (देव)
इकारान्त पुल्लिग
(हरि)
प्राकारान्त स्त्रीलिंग
(कहा)
इकारान्त स्त्रीलिंग
(मइ)
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
एकवचन
बहुवचन
हि
ए
हिं
तृतीया (हेमचन्द्र)
ए
एं (देवें) एण,
हिं
हि. (प्राहि एहिं)
(हरि) एं (हरिएं)
For Private & Personal Use Only
तृतीया (अन्य)
इ (देवि) ए (देवे)
णा (प्राकृत)
हि
इ
-
इ
हि
(देवि,
[ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ
देवि) ए (देवे)
www.jainelibrary.org