Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ 5 आपणा एक विद्वान संशोधक जाहेर कर्यु के आ दूहाओ तो ते समयना अमुक विख्यात चारण-कविनी रचना छे, जेनी आचार्ये उठांतरी करी छे. मजा तो ए छे के आ विद्वाने, ते चारण-कविना कया ग्रन्थमां कया दुहा छे ने शेमांथी आचार्ये उद्धृत कर्या छे, तेनो एक पण दाखलो के प्रमाण आपवानी तस्दी लीधी नथी. ते कविनी रचना विषे पण भाग्ये ज कशं नोंध्यु छे. श्रीभायाणी साहेबे प्रा.व्या. गत उदाहरणोनां मूल स्थानो तथा मूल स्वरूप शोधवानो संनिष्ठ प्रयास को छे; घणांनां स्थान-स्वरूप शोध्यां पण छे. जो साचेसाच आचार्ये उठांतरी करी होवार्नु अथवा ते चारण-कविना स्रोतनुं तेमना ध्यानमां आव्युं होत तो तेमणे अवश्य ते विषे वात करी होत. सार ए के कोई पर मनघडंत आक्षेप करवाथी कोई वात 'संशोधन' पुरवार न थाय; ते वधुमां वधु काल्पनिक सत्य' गणी शकाय. आवां बीजां उदाहरणो पण टांकी शकाय. पण ते कांई आवश्यक नथी. आवश्यक तो कल्पना अने सत्य अथवा काल्पनिक सत्य अने तथ्यपरक सत्यनी कल्पना - ए बन्ने वच्चेनो विवेक केळवीए ते ज छे. अस्तु. - शी.Page Navigation
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