Book Title: Anusandhan 2020 02 SrNo 79 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 4
________________ निवेदन संशोधन एटले सत्यनो कल्पनाविहार. बीजी रीते, प्रचलित परिस्थिति सत्यथी वेगळी होय त्यारे कल्पनाना प्रदेशमा विचरीने सत्यनी समीपे पहोंचवू तेनुं नाम संशोधन. आम तो हमेशां कल्पना रळियामणी होय, अने सत्य आकरूं. पण सत्य ज्यारे कल्पनानी सोबत करे छे त्यारे ते पण, घणीवार, रळियामणुं बनतुं होय छे. सत्यनी कल्पना भारे मीठी होय छे : तेना शोधक माटे पण, अने तेना भावक माटे पण. बे वानां छे : सत्यनी कल्पना, अने कल्पनानुं सत्य. संशोधन- सत्य एक ज : सत्य न जडे त्यां सुधी सत्यनी कल्पना कर्या करवी; पण कल्पनाना सत्यथी वेगळा ज रहे. तो प्रश्न थशे : सत्य एटले शुं? जवाब हशे : जे तथ्यनी नजीक होय ते सत्य. अर्थात्, तथ्यथी दूर खेंची जाय ते कल्पना. संशोधन हमेशां तथ्यनी शोधमा प्रवर्ते छे. तेनी समक्ष सत्यपरक घणीबधी कल्पनाओ पडी होय, पण तेने माटे ते ज कल्पना उपादेय, जे तेने तथ्यनी नजीक दोरी जाय. तथ्यविहोणी अने तथ्यथी वेगळी कल्पना तो काल्पनिक सत्य ज होय; बीजुं कांई नहि.Page Navigation
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