Book Title: Anusandhan 2006 02 SrNo 35
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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फेब्रुआरी- 2006
पडिएण भवसमुद्दे अनंतकालाउ तं पहू पत्तो ।
तह वि य वेहं (विरहं ?) मह जं कारेसि तं नाह! किं कज्जं ? ॥५॥
हुं विन्नायं अज्ज वि पहु त्ति सम्मं तुमं न पडिवन्नो । न हि माणस (भ ? )रसंगे (?) तम्हा रोरं पिदूमेइ ||६||
पहु ! करुणारसिएण वि एगागी हरिणजूहपब्भट्ठो हरिणलुओ व्व मुक्को किहु ण ( कह णु ?) तए भीमभवन्ने ? ||७|| सच्चं तुमं निरीहो गयनेहो सयलमुक्कवावारो । अइदुहियं इक्कं चिय तह वि ममं निव्व(व्वु)यं कुणसु ||८||
किं दोसो कम्माणं ? किं वा दोसो इमस्स कालस्स ? | किं वा मज्झवि एसा अजुग्गया नाह ! दुट्ठस्स ? ||९|| जिण ! समु (म) त्यो वि दयालुओ वि भुवणोवयारनिरओ वि । दीणं पत्थंतस्स विन नाह ! मह निव्वुयं (इं) देसि ! ॥१०॥
पिच्छंतो बहु सच्चं लोयालोयं मुणिंद ! नियभिच्चं । कह न ममं चिय इक्कं भावारिविडंबियं नियसि ? ॥ ११ ॥
रागाईहि परद्धो भीओ तुह नाह ! सरणमल्लीणो । पक्खिवसु ता ममोवरि करुणारसमंथरं दिट्ठि ॥ १२ ॥
विसयपरिभोगतण्हा ओसरउ खणं पि ताण कह नाह ! । जेहि न पीयं कन्नंजलीहि वयणामयं तुम्ह ||१३|| तुह समयामयसिंधु (धू) जाण जाओ न निद्धुओ अप्पा ( ? ) । कह समय(इ) ताण सामी कसायदवदहणसंतावो ? ॥१४॥
रागाइतकरेहिं सयमवि मुसियाइ तित्थियपुराई ।
ते तुह सासणपुरे तेसिमविसए वसंति बुहा ||१५|| नियसंवेयणसिद्धं थिरं मणो तुज्झ सासणे मज्झ । मज्झुवरि पुणु न याणे पहु करुणा केरिसी तुम्ह ? ||१६|| विसयासुइरसगत्ते अणाइभवभावणाए घिप्पंतो । मज्झ मणो अणवरयं कह वि तुमं धरसु जह नाह ! || १७ |
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