Book Title: Anusandhan 1995 00 SrNo 04
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ सेस वेढवीटी कोठारी सोनइयाइ वागिड उवरो रूपया दाण जकाति सोणइयो - दीनार पणि पुंठि शेषा प्रसादम् साक्षरांगुली मुद्रा धान्यकोष्ठाध्यक्षः सौवर्णटंकाः सामान्यनृपः सामान्यनृपः यवनानाम् रूप्यटका शुल्कम् सुवर्णटंकाः न्यासः निक्षेपः पृष्ठे बलाकाः खद्योतः तलहट्टिका परिसस्भूमिः शिबिका आहूतः अश्वतराः जलकेलि(जलमध्ये प्रवेशः) अधिरोहणिका प्रकरः छायिका चतुरिका चतुष्कम् प्रासादाग्रेतनभूमिका क्षिरिका लघुदेवगृहम् अचलाः (पर्वतशिखराणि) निम्ब पिचुमन्दः बगला खज्जऊ तलहटी पालखी निहोत्रो खचरः डबकि नीसरणी पगर छाहडा चउरी चौक चउक रायणि १४.२४५ १४.२५४ १४.२५७ १४.२५७ १४.२६९ १४.२६१ १४.२६३ १४.२८ १४.२८ १४.२८१ १५.२४ १५.६१ १५.६८ १६.२ १६.९ १६.११ १६.१८ १६.२१ १६.२९ १६.३४ १६.३४ १६.४८ १६.५५ १६.९६ १६.९५ देहरी १६.९५ टुंक १६.१३६ १७.२४ नींबडा [8] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 96