Book Title: Anusandhan 1995 00 SrNo 04
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ -कृत मेरुरत्न - उपाध्याय-शिष्य-व पांडवचरित्र - बालावबोध जैन परंपरा प्रमाणेनी महाभारतकथा के पांडवचरित्र विषयक आ जूनी गुजराती भाषामां रचेल बालावबोधनी, सद्गत मुनि जिनविजयजीनी पासेथी मळेली एक मात्र हस्तप्रतने आधारे अहीं आपेलो पाठ तैयार कर्यो छे. हस्तप्रतमां कुल ९० पत्र छे. पाठ अधूरो छे. जरासंधवध अने पछीना नेमिचरित्रना, नेमिनाथे कृष्णनुं मन राखवा अनिच्छाए विवाह करवानुं स्वीकार्य छे एवी आकाशवाणी एटला अंश पछी प्रतनुं लखाण अटक्युं छे. पुष्पिका पण नथी. एटले कर्ता, लेखन-संवत, लेखनस्थान वगेरेनो निर्देश पण नथी. प्रतनी प्रतिलिपि अधूरी ज छोडी देवाई छे. प्रत झीणा अक्षरे स्पष्टपणे लखाई छे. अशुद्धिओ ओछी छे. कोईक शब्द चूकी जवायो छे. कोईक कोईक पंक्ति पण. अनुनासिक, ह्रस्वदीर्घ, सकारशकार वगेरेना लेखन बाबत केटलीक असंगति छे, जे बीजी जूनी गुजराती हस्तप्रतोमां जेटली मळे छे तेना प्रमाणमां ठीकठीक ओछी छे. केटलीक देखीती भूलो सुधारी लीधी छे. अर्थ के पाठ अस्पष्ट के शंकास्पद लाग्यो छे त्यां ए शब्द के पंक्तिनी पासे प्रश्नार्थ मूक्यो छे. पत्रदीठ २३थी २५ पंक्ति अने पंक्तिदीठ ६६ थी ७५ अक्षरो छे. लखाणनुं कुल माप केटलुं छे तेनो अंदाज सहजपणे आपी शकाय तेम नथी, केम के कृतिनो अमुक अंश गद्यमां ('बोली'मां), अने अमुक अंश पद्यमां (मुख्यत्वे दुहा, चोपाई) एम उत्तरोत्तर चाले छे, अने लहियाए आपेल क्रमांक माटे गद्यांशना एकमनो शो आधार छे ते सहेजे नक्की थई शके तेम नथी. परंतु प्रतनुं लखाण ज्यां अटक्युं छे, त्यां सुधी (आगळ आवी गयेला ५६००ना आंकडा पछी १थी शरू करीने १६ सुधीना क्रमांक मळे छे तेथी) ५६१६नी संख्या थाय छे. पांडवकौरव -सेना युद्ध माटे सज्ज थई सामसामे आवी रही अने रणवाद्योनो कोलाहल थयो त्यां सुधीनी कथा पछी ७१मा पत्रना पहेला पृष्ठ पर, चालु वर्णन वच्चे नोंध मूकेली छे. लहियाए आपेला क्रमांक ४७८१ पछीनी पहेली बे पंक्ति पछी नीचे प्रमाणे छे : जर किमइ वाग् वाणी सरस्वती तूसइ, वली विदुर- शिरोमणि पंडित Jain Education International [68] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96