Book Title: Anusandhan 1995 00 SrNo 04
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 88
________________ आदरणीय श्री भायाणी साहेब, सादर वंदन. भावनगर, ता. २९-१०-७४ आपना पत्रमा घवळी विषे हतुं. तेना माटे में थोडीक माहिती भेगी करी छे. तेम ज में कंईक कल्पना करी छे. ते नीचे प्रमाणे छे. तेमां केटलुं तथ्य छे ते तो आप करी शको. (१) हुं मार्नु के घवळी शब्द गौवल्ली परथी आव्यो हशे. दा. त. कवितामां जेम चार चरण ते गायना चार पग परथी विचाराया छे, तेम घवळीमां' मुख्य चार पाद छे. तेथी हुं कल्पना करुं छु के गौ-गायना चार पाद अने तेनी आसपास वल्ली के वल्लरी. ते बंने मळीने गौ+वली गउली के घउंली थयुं हशे. [घउंली शब्द माटे जुओ बोळचोथनी वार्ता. गायनो वाछडो घउंलो तेने रांधे छे. घउंलो एटले 'खीचडो' पण थाय छे.] गउनो घउं शब्द देश्यवानीमां बोलाय छे. तेनो दाखलो उपर छे. (२) बीजुं गौर वल्ली 'सफेद रंगनी वल्लरी' ते परथी पण आ शब्द आव्यो होय. कारण के घउंलीनो मांडणी चोखाथी ज थाय छे. अने आजे पण बंगाळ-ओरिस्सामा चोखाना लोटथी वेल-भात चीतराय छे. वेदकाळे गायो, खूब ज महत्त्व छे. गौ परथी अनेक शब्दो आव्या छे. नृत्यना एक प्रकारने पण गौमूत्रिक कहे छे. (जुओ दंडीना 'दशकुमारचरित मां राजकुमारीनी कंदुकक्रीडा अने नृत्य). आजे पण बळद चालतो मूतरे तेने बळदमूतरणा जेवू कहे छे. वेदकाळे वेदिकानी आसपास चोखाना लोटनी वल्लरीओ चीतरवामां आवती आजे आवा शोभन मंडळोने 'मंडळ पूर' कहे छे. ते अनाज अने लोटथी पुराय छे. ___घवळी हिंदुओमां पुराती नथी. हिंदुओ स्वस्तिक ने कल्याणार्थी माने छे. तो खास करीने जैनोमां घवळीनुं महत्त्व छे. सूरिजी पधारे त्यारे घेर घवळी चीतराय छे. देवदर्शन करवा जाय त्यारे श्राविकाओ देवनी सामे चोखानी घवळी करी ते पर बदाम के फळ देवने समर्पे छे. मोतीपरोणामां तेम ज भरतमां घवळी भरीने पढावी घेर टांगे छे. [87] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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