Book Title: Anusandhan 1995 00 SrNo 04
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मतिसारने नामे 'कर्पूरमंजरी' एक जाणीती रचना छे. एमां बीजुं कोई नाम मळतुं नथी. परंतु ए अज्ञातनामा कविनी रचना होय अने 'बोलइ कवि पंडित मतिसार मां ‘मतिसार' शब्द 'मति अनुसार ना अर्थमां होय एवो संभव साव नकारी न शकाय. आवो संभव विचारवानुं कारण ए छे के आवां थोडां शंकास्पद स्थानो सिवाय ‘मतिसार' एवं नाम ज क्याय मळ्तुं नथी.
सार वस्तुतः मध्यकाळमां 'सार' शब्द 'अनुसार'ना अर्थमां व्यापक रीते प्रयोजायेलो जोवा मळे छे. जेमके, श्री गुरुवयण सुणी बुद्धिसार, सीमंधर जिन गायो.
(जै.गू.क., बी. आ., ४, ६६) 'बुद्धिसार' एटले बुद्धि अनुसार. सत्तरि कम्मविचारं कहियं रिषि कुंभ सुयसारं.
(जै.गू.क., बी.आ., १, ३०५) 'सुयसारं' एटले सूत्र अनुसार, शास्त्रानुसार. सारइः अनुसार 'मनसा-सारइ'
(गुजराती भाषानुं ऐतिहासिक व्याकरण, हरिवल्लभ भायाणी, पृ.२००) 'मनसा-सारई' एटले मनीषा अनुसार, इच्छा मुजब. पाप कीयां तइं तिहां घणां, जनकभवनि दिनराति रे, पहिलं दुःख पाम्युं तिणइ, बीबा-सार भाति रे. २६.३ (राजसिंहकृत 'आरामशोभाचरित्र', आरामशोभा रासमाळा, संपा. जयंत
कोठारी, पृ.२२३) 'बीबा-सारु भाति' एटले बीबा अनुसार, बीबा प्रमाणे भात पडे छे. घर-सार आपई दाति ए. ९६
(विनयसमुद्रकृत 'आरामशोभाचोपाई', एजन, पृ.१२२) अर्थ छे : घर अनुसार, घर प्रमाणे, घरने शोभतो ए करियावर आपे छे. ___ निज घर-सारं मोकलउ. ५.दू.२
(जिनहर्षकृत 'आरामशोभारास', एजन, पृ.२३५) अर्थ छे : पोताना घर अनुसार, घरने शोभतुं (भातुं) मोकलो.
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